पीएम मोदी ने किया श्री महाकाल लोक का लोकार्पण, कहा- महाकाल का आशीर्वाद जब मिलता है तो सारे काल मिट जाते हैं

मध्य प्रदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकाल लोक के पहले चरण का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर कॉरिडोर का पूरा एरिया करीब 900 मीटर का है। कार्यक्रम के दौरान करीब 60 हजार लोग मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने श्री महाकाल लोक के लोकार्पण से पहले महाकाल का दर्शन किया। साथ ही संध्या आरती में भी शामिल हुए।

प्रतिमाओं पर QR कोड स्कैन कर शिव की जानकारी पा सकते हैं

यहां हर एक प्रतिमा के सामने QR कोड लगाया है, जिसे स्कैन करते ही भगवान शिव की कहानी की जानकारी आपके मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएगी। यानी नई पीढ़ी को पौराणिक इतिहास, कथाओं और मान्यताओं से जोड़ना है।

पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत बाबा महाकाल को नमन करने के बाद की। साथ ही पीएम मोदी ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार, मंदिर ट्र्स्ट और संतों के प्रति पीएम मोदी ने आभार जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि उज्जैन की यह ऊर्जा, यह उत्साह, अवंतिका की यह आभा, यह अद्भूत यह आनंद, महाकाल की महिमा, यह महात्म्य… शंकर के सानिध्य में कुछ भी साधारण नहीं है, असाधारण है।

पीएम मोदी ने कहा कि यह महसूस कर रहा हूं कि हमारी तपस्या से महाकाल प्रसन्न होते हैं तो ऐसे ही भव्य स्वरूपों का निर्माण होता है। जब महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं। समय की सीमाएं मिट जाती हैं। अंत से अनंत की यात्रा आरंभ हो जाती है। 

पीएम मोदी ने कहा कि उज्जैन वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। ये वो नगर है, जहां भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी। पीएम मोदी ने कहा कि उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, और साहित्य का नेतृत्व किया है। उज्जैन के क्षण-क्षण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है।  

जहां महाकाल है, वहां काल खंडों की सीमाएं नहीं हैं

पीएम मोदी ने कहा कि भगवान महाकाल एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो दक्षिण मुखी है। इसकी भस्मारती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हर भक्त भस्मारती जरूर करना चाहता है। भस्मारती का धार्मिक महत्व यहां उपस्थित संत गण ज्यादा अच्छे से बता सकेंगे। भारत की जीवटता और जीवंतता का दर्शन भी करता हूं। अपराजेयता को भी देखता हूं। जो शिव स्वयंभूति विभूषणा.. जो शिव खुद को भस्म को धारण करने वाले हैं, वह नश्वर और अविनाशी है। जहां महाकाल है, वहां काल खंडों की सीमाएं नहीं हैं। महाकाल की शरण में विष में भी स्पंदन होता है।

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