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शिक्षा पर्व पर बोले पीएम मोदी- हमारे यहाँ छात्र और शिक्षक का रिश्ता पेशेवर नहीं, पारिवारिक होता है

देश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षक पर्व के उद्घाटन सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। अपने संबोधन से पहले पीएम ने कई शिक्षा से जुड़ी पहलों का उद्धाटन किया।

पीएम मोदी ने कहा, हमारे शिक्षक अपने काम को केवल एक पेशा नहीं मानते. उनके लिए पढ़ाना एक मानवीय संवेदना है, एक पवित्र नैतिक कर्तव्य है। इसीलिए हमारे यहां शिक्षक और बच्चों के बीच प्रोफेशनल रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है, और ये रिश्ता, ये संबंध पूरे जीवन का होता है।

 

संबोधन की शुरूआत में पीएम मोदी ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा, ‘आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो एकनिष्ठ प्रयास किया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है।’

विद्याजंली, 2.0 जैसी कई योजनाएं शुरू की गई

 

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘आज जो योजनाएं शुरू हो रही है वो भविष्य के भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी। आज विद्याजंली, 2.0 जैसी कई योजनाएं शुरू की गई हैं।’ 

 

पीएम ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि यह हमारे शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी। अब समय है कि हम अपनी क्षमताओं को आगे बढ़ाएं। हमने कोरोना काल के मुश्किल समय में जो कुछ सीखा है उसे एक नई दिशा दें।

 

आज एक ओर देश के पास बदलाव का वातावरण है तो साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आधुनिक पॉलिसी भी है। आप सभी इस बात से परिचित हैं कि किसी भी देश की प्रगति के लिए एजुकेशन न केवल Inclusive होनी चाहिए बल्कि equitable भी होनी चाहिए। इसीलिए, आज देश Talking बुक्स और Audio बुक्स जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है।

 

 

पीएम ने कहा कि देश ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ ‘सबका प्रयास’ का जो संकल्प लिया है, ‘विद्यांजलि 2.0’ उसके लिए एक जीवंत platform की तरह है। जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं। और आपने ये देखा है कि बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है।

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