‘शिंदे’ बने महाराष्ट्र के ‘नाथ’, आखिर क्या है खेल

महाराष्ट्र विचार मंच

महाराष्ट्र में कई दिनों की सियासी खींचतान का आखिरकार अंत हुआ और आज महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री मिल गया। हालांकि कहानी का अंत यहीं नही हुआ। दूसरी राजनीतिक कहानी की शुरुआत ही यहीं से हुई। देवेंद्र फडणवीस की जगह एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने असली खेल कर दिया।

उद्धव ठाकरे के इस्तीफे से पहले और बाद में सभी को यही लग रहा था कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे उप मुख्यमंत्री बन सकते हैं। पर बीजेपी ने हमेशा की तरह सरप्राइज तैयार रखा था। देवेंद्र फडणवीस ने ऐलान किया कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होंगे और वे खुद सरकार से बाहर रहेंगे।

इस सरप्राइज की किसीने उम्मीद भी नही की थी लेकिन बीजेपी ने यही किया। हालांकि उच्च नेतृत्व के फैसले से देवेंद्र फडणवीस की नाराजगी भी दिखी, इसीलिए उनके सरकार के बाहर रहने के फैसले पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने मीडिया के सामने आकर फडणवीस को उप मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने की बात कही। इसके बाद अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा कि – भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के कहने पर श्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा मन दिखाते हुए महाराष्ट्र राज्य और जनता के हित में सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया है। यह निर्णय महाराष्ट्र के प्रति उनकी सच्ची निष्ठा व सेवाभाव का परिचायक है। इसके लिए मैं उन्होंने हृदय से बधाई देता हूँ।

 

इसके बाद एकनाथ शिंदे और फडणवीस ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब सवाल यह उठता है कि आखिर भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देकर क्या संदेश देने की कोशिश की है।

शिवसैनिक बना सीएम

भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर सबसे पहले यह बताने की कोशिश की है कि महाराष्ट्र का सीएम एक शिवसैनिक बना है। यही बात उद्धव ठाकरे ने अपने फेसबुक लाइव में कही थी कि उन्हें कुर्सी का मोह नही है लेकिन वे चाहते हैं कि उनके बाद एक शिवसैनिक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने। लेकिन भाजपा में शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर उद्धव ठाकरे को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वे अपने कार्यकर्ताओं से क्या कहेंगे। क्योंकि हिंदूवादी शिवसैनिक को ही भाजपा ने मुख्यमंत्री बन दिया है।

हिंदुत्त्व के लिए समर्थन

भाजपा ने एकनाथ शिंदे को समर्थन देकर यह भी बताने की कोशिश की है कि भाजपा ने सत्ता के लिए नही बल्कि हिंदुत्त्व के लिए एकनाथ शिंदे को समर्थन दिया है। प्रेस कांफ्रेंस में भी देवेंद्र फडणवीस ने यही कहा था कि सत्ता के लिए नही हिंदुत्त्व के लिए भाजपा ने समर्थन दिया है।

खुद को किरकिरी से बचाने की भाजपा की कोशिश

भाजपा ने शिंदे को सीएम बनाकर खुद को किरकिरी से बचाने की भी कोशिश की है। शिंदे गुट के विधायकों के बागी होने से जो भाजपा पर आरोप लग रहे थे कि इस सब के पीछे भाजपा का हाथ है और ऑपरेशन लोटस की जो बात उठ रही थी वो यही था। इससे बीजेपी पर सीएम बनने के लिए सरकार गिराने के जो आरोप लगते रहे उससे भी बचने की कोशिश की गई है। बीजेपी ने बताने की कोशिश की कि उसे मुख्यमंत्री पद नही चाहिए।

ढाई-ढाई साल सीएम का फार्मूला

भाजपा ने एकनाथ को महाराष्ट्र का नाथ बनाकर यह भी दिखाया है कि उद्धव ठाकरे ने जो ढाई ढाई साल के सीएम की बात कही थी वो सच नही थी। अगर ऐसा होता तो ढाई साल के बाद भाजपा अपना सीएम बनाती लेकिन भाजपा ने ऐसा नही किया।

देवेंद्र फडणवीस का कार्यकर्ताओं को संदेश

देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर यह संदेश दिया कि पार्टी नेतृत्व का फैसला ही सर्वोपरि है। इस बीच में देवेंद्र फडणवीस के सीएम न बनने से नाराज कार्यकर्ताओं को यह समझाया गया कि फडणवीस उपमुख्यमंत्री भी नही बनना चाहते थे लेकिन पार्टी अध्यक्ष के आग्रह पर उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा ने वो किया जिसके लिए वो नही जानी जाती है। टीवी पर आकर नड्डा ने फडणवीस से आग्रह किया कि वे उपमुख्यमंत्री बनें।

 

इनसब से परे यह तो सब समझ ही रहें है कि भाजपा ने शिवसेना के ही व्यक्ति को सीएम बनाया पर वो ठाकरे परिवार से नही है। और राजनीतिक पंडित तो इसे साल 2019 का बदला भी मान रहें हैं।

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