“मामेकं शरणं व्रज” की थीम पर आयोजित ध्यान योग सत्र में योगाचार्य राजेश व्यास ने बताया कि हम जानते तो है कि योगेश्वर का उद्घोष है कि सब धर्मों को छोड़ कर एक मेरी शरण मे आ जा, मैं तुझे सब पापों से मुक्त कर दूंगा फिर भी हम विश्वास नहीं कर पाते। बार बार यही हमारे साथ होता है लेकिन हमें प्रयास नहीं छोड़ने चाहिए।
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान अर्थात अभ्यास के बार बार करने से सफलता मिलती ही है। ये बातें योगाचार्य राजेश व्यास ने श्री कृष्ण ध्यान योग पद वंदना एवं ध्यान योग सत्र कार्यक्रम में कही।
अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर श्री कृष्ण योग ट्रस्ट द्वारा आयोजित लाइव कार्यक्रम में योगाचार्य राजेश व्यास ने बताया कि निरन्तर अभ्यास से लक्ष्य की प्राप्ति होती है। योगाचार्य राजेश ने इस दौरान कई पौराणिक प्रसंगों का उदाहरण देते हुए ध्यान योग की महत्ता बताई।
ध्यान योग का अभ्यास कराते हुए राजेश व्यास ने बताया कि ध्यान मन का स्नान है, विश्राम है और इस शरीर को साधने वाले मन को साधने का साधन ध्यान है। कार्यक्रम को सफल बनाने में ओंकार नाथ पांडेय, विनोद उपाध्याय, आकाश व्यास ने सक्रिय भूमिका निभाई।
