ट्रेंड समय के साथ साथ हमेशा बदलता रहता है। लोग हमेशा कुछ नया चाहते हैं और उसके लिए बदलाव अहम होता है। दीपावली पर घर घर दीपक जलाएं जाते हैं, एक दौर था जब हफ्तों पहले लोग मिट्टी के दीपक की खरीददारी कर लिया करते थे। लेकिन समय के साथ मोमबत्ती ने इन दीयों की जगह लेकर दिवाली के बाजार में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया।
गाय के गोबर से बने दीपक इन दिनों लोगों को काफी आकर्षित कर रहे हैं
मोमबत्तियां जलाना लोगों के लिए काफी सुविधाजनक भी थी सो हर कोई दीपावली पर मोमबत्ती जलाकर अपने घर, ऑफिस को रौशन करते थे लेकिन आज दीपावली के बाजार में मोमबत्ती का दबदबा कम हो रहा है और इसकी मुख्य वजह है गोमय तथा पंचगव्य दीये। गोमय यानी गाय के गोबर से बने दीपक इन दिनों लोगों को काफी आकर्षित कर रहे हैं। रंग बिरंगी चित्रकारी किये गोमय दीपक लोगों को काफी रास आ रहे हैं।
देखने में आया है कि पिछले कुछ वर्षों में इन दीयों की मांग में अच्छी वृद्धि हुई है। एक अनुमान के मुताबिक केवल कोलकाता महानगर में लगभग दस संस्थाएं ऐसी है जो गाय के गोबर से बने दीपक बना रही है। सीजन और अच्छी मांग को देखते हुए विभिन्न संस्थाओं तथा निर्माताओं ने भी दीपावली से काफी पहले दीपक बनाने शुरू कर दिए हैं।
कलकत्ता पिंजरापोल सोसायटी की सोदपुर स्थित कामधेनु गौशाला के सचिव रमेश बेरीवाल ने बताया कि गाय के गौबर से निर्मित दीपक पर्यावरण हितेषी के साथ ही शुद्ध भी माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि लोग गोमय दीपक को काफी पसंद कर रहे हैं इसलिए इनकी मांग पिछले कुछ वर्षी में काफी बढ़ी है। बढ़ी मांग के अनुरूप हमने पहले की अपेक्षा इस बार इसका उत्पादन भी बढ़ाया है। बेरीवाल ने बताया कि हम गौशाला में ही ये दीपक बनाते हैं।
संस्कृति आर्य गुरुकुलम में पिछले सात साल से जुड़े आर्य नितिन ने बताया कि गाय के गोबर का महत्व जगजाहिर है। इस बात बात को केंद्र में रखते हुए हम पिछले कई सालों से गोमय दीपक बना रहे हैं। साल दर साल बाजार में इन दीपक की मांग बढ़ रही है। इसमें विविधता लाने के लिए हम इस पर रंगोली करते हैं जिससे ये और आकर्षित हो जाते है।