Narsingh Chaturdashi – नरसिंह चतुर्दशी आज, जगह जगह मेला, मंदिरों मे होंगे धार्मिक अनुष्ठान

बंगाल
  • Narsingh Chaturdashi – कोलकाता मे नरसिंह जयंती महोत्सव
  • मेले का इतिहास

सनलाइट, कोलकाता। प्रवासी राजस्थानी जहाँ भी जाते है, अपनी परम्परा अपने तीज अपने त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाते है।

Narsingh Chaturdashi

इसी कड़ी मे आज रविवार 11 मई को कोलकाता मे विभिन्न स्थानों और लिलुआ के ब्रह्म बगीचा मे नरसिंह जयंती के उपलक्ष्य मे मेला आयोजित होगा।

कोलकाता मे नरसिंह जयंती का इतिहास लगभग 125 साल से अधिक समय का रहा है। बड़ा बाजार के विभिन्न स्थानों पर प्रवासियों द्वारा नरसिंह जयंती के दिन लोकनाट्य कला के माध्यम से हिरण कश्यप का वध का मंचन किया जाता है।

धार्मिक रूप से शालीग्राम जी का अभिषेक पूजन कर नरसिंह जी की पूजा की जाती है और प्रातिकातमक रूप से खंभा तोड़ नरसिंह अवतार होता है।

हिरण कश्यप के वध के बाद आरती होकर नरसिंह देव का विशेष प्रकार से बने प्रसाद कसार और पञ्चामृत वितरित किया जाता है।

बड़ा बाज़ार के बाँसतल्ला मे लगभग एक सौ पच्चीस वर्ष पूर्व मेघराज हर्ष और मगन लाल हर्ष (फागनिया महाराज) ने इस मेले की शुरुआत की थी।

धातु से बने मुखोटे धारण कर लोक नाट्य शैली मे नरसिंह अवतार और हिरण कश्यप के वध का मंचन मेघराज और मगन लाल हर्ष के वंशजों दीपक, जगदीश और राधे हर्ष द्वारा बाँसतल्ला वासियों के सहयोग से होता है।

लगभग सौ साल के आस पास नींबू तल्ला कोठारी पार्क मे बम भोला हर्ष ने अपने साथियों के साथ मिल कर मेला आयोजित करना चालू किया जिसे अब महेंद्र पुरोहित और विश्वनाथ व्यास नींबूतल्ला के मोहल्ला वासियों के साथ मिल कर संचालन करते है, यहाँ वर्षों से बुलाकी हर्ष नरसिंह जी का वेश धारण करते है।

ढाका पट्टी अखाडा मे गोपाल लाल, वेद मित्र व्यास परिवार ने मेले प्रारंभ किया था यहाँ भी धातु के मुखोटा है। राज कुमार व्यास काकु, महेश आचार्य यहाँ मेले की व्यवस्था देखते है और लगभग बीस वर्षों से कैलाश हर्ष यहाँ नरसिंह जी का वेश धारण कर रहे है।

Narsingh Chaturdashi – ढाकापट्टी मे ही मनसापूरण चोक मे पपला पुरोहित कुटुंब द्वारा लगभग साठ साल से नरसिंह जी के मेले का आयोजन होता आया है।

पपला जी परिवार के सभी सदस्य मेले के दिन यहाँ पहुच मेले का आयोजन करते है गत छ सात वर्षों से अशोक व्यास नरसिंह जी का मुखोटा धारण करते है, यहाँ भी मुखोटा धातु का है।

राजा कटरा स्तिथ नरसिंह देव मन्दिर जो कि लगभग सवा सौ साल पहले स्थापित हुआ था मे भी नरसिंह जी के मेले का आयोजन होता है मनोज आचार्य (ऋणी वाले) 25 वर्षों तक लगतार यहाँ नरसिंह देव का वेष धरा था।

गणपत बागला रोड स्तिथ आनंद भैरव मन्दिर मे गोपाल हर्ष ने अन्य सहयोगी के साथ मिल कर चालीस वर्षों पूर्व मेले का आयोजन चालू करवाया था मन्दिर के महंत भँवर महाराज के अनुसार मुखोटा धातु का बना है और विगत कई वर्षों से धनञ्जय व्यास नरसिंह जी बन रहे है।

सिंगागढ़ माला पाडा मे रामदेव जी के मन्दिर से नरसिंह देव का मेला होता है, राजा रंगा के सन्योजन मे होने वाले इस मेले मे नरसिंह देव का मुखोटा धातु का बना है।

गणेश टाकिज पर कलवाणी परिवार द्वारा चौबीस साल पहले मेला शुरू करवाया गया था, गणेश टाकिज काली मन्दिर से नरसिंह अवतार होता है, डॉ कलवाणी कई वर्षों तक नरसिंह देव बने अब किशन छंगाणी बन रहे है।

कलाकार स्ट्रीट नींबूतल्ला मोड पर दो वर्ष पूर्व हरगोविंद व्यास ने मेला शुरू किया। अरुण व्यास यहाँ नरसिंह देव का रूप धरते है।

इस वर्ष पहली बार शिव ठाकुर गली मे श्री रामदेव बाल प्रचार सेवा समिति द्वारा मेले का आयोजन शुरू किया जा रहा है। लोहा घाट पर भी नरसिंह देव के मेले का आयोजन होता रहा है।

लिलुआ के पुष्करणा ब्रह्म बगीचा मे पंद्रह वर्ष पूर्व स्व. नारायण दास हर्ष, स्व हनुमान व्यास, छोटू लाल पुरोहित, ग्वाल दास व्यास और पी शीतल हर्ष ने नरसिंह देव के मेले का आयोजन शुरू किया था।

उमेश व्यास, राहुल पुरोहित, किशन पुरोहित और नरसिंह हर्ष नरसिंह जी का रूप धर चुके है, इस वर्ष भी नरसिंह हर्ष ही नरसिंह जी का स्वरूप धारण करेंगे, यहाँ फरसीया जोशी 15 सालों से हिरण कश्यप बन रहा है। सभी उत्सव मण्डल मेले की व्यवस्थाओं मे लगे है।

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