कोलकाता। पश्चिम बंगाल के विभिन्न जगहों पर सरकारी परियोजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के एवज में ली गई कट मनी और मेट्रो डेयरी घोटालेे को लेकर मंगलवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ।
विपक्ष का वॉकआउट
कुुुछ देेेर तक चले शोर शराबे के बाद विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी करते हुए विधानसभा से वॉकआउट किया । माकपा और कांग्रेस के विधायकों ने जल्द से जल्द लोगों को कट मनी लौटाने और मेट्रो डेयरी घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
47 प्रतिशत शेयर को महज 84.5 करोड़ रुपए में बेचा
पश्चिम बंगाल सरकार के प्राणी संपद मंत्रालय ने 2017 के अगस्त महीने में मेट्रो डेयरी का 47 प्रतिशत शेयर केवेंटर एग्रो कंपनी को बेच दिया था। इस कंपनी के पास डेयरी का 53 प्रतिशत शेयर पहले से था। 47 प्रतिशत शेयर को महज 84.5 करोड़ रुपए में बेचा गया था। उसके बाद इस कंपनी ने मेट्रो डेयरी का 15 प्रतिशत शेयर सिंगापुर की एक इक्विटी कंपनी को 170 करोड़ रुपये में बेच दिया था। इसे लेकर विधानसभा में विपक्ष के मुख्य सचेतक मनोज चक्रवर्ती ने सवाल खड़ा किया।
राज्य के कोष में आते कम से कम 500 करोड़ रुपये
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से मेट्रो डेयरी का शेयर खरीदकर केवेंटर एग्रो ने थर्ड पार्टी को बेच दिया। यानी कम समय में कंपनी ने राज्य सरकार की कंपनी को थर्ड पार्टी को बेचकर बड़ी धनराशि का लाभ किया। ऐसे में अगर उस शेयर को सरकार ने खुद किसी दूसरी कंपनी को बेची होती तो इससे राज्य के कोष में कम से कम 500 करोड़ रुपये जमा होते।
ऐसे में शेयर बिक्री से पहले उसका अधिकतम मूल्यांकन क्यों नहीं कराया गया? मनोज चक्रवर्ती ने मंगलवार को विधानसभा के प्रथमार्द्ध में विधानसभा अध्यक्ष के सामने इस मुद्दे को उठाया।
इसके बाद सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक इसे लेकर हंगामा करने लगे। अध्यक्ष ने इस पर चर्चा कराने से इनकार कर दिया जिसके बाद विपक्षी विधायकों ने भी हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी।
मनोज चक्रवर्ती के समर्थन में वामपंथी विधायक भी खड़े हो गए। उसके बाद विधायकों ने कट मनी के मुद्दे को भी उठाया और राज्य भर में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने लगे।
कुछ ही देर बाद माकपा और कांग्रेस के विधायक नारेबाजी करते हुए विधानसभा के व्हेल में उतरे और नारा लगाते हुए विधानसभा से वॉकआउट कर गए।
हालांकि बाद में एक बार फिर ये लोग विधानसभा के कक्ष में लौटे और कार्रवाई में हिस्सेदारी भी की।
माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि प्राणी संपद विभाग की ओर से मेट्रो डेयरी का स्थानांतरण किया गया है। ऐसे में इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या कोई सरकारी अधिकारी उक्त कंपनी के साथ गैरकानूनी तरीके से लाभ लेने के एवज में धांधली की है।
उन्होंने इस स्थानांतरण से संबंधित फाइल को भी प्रकाशित करने की मांग की।
उन्होंने सवाल खड़ा किया कि आखिर राज्य सरकार जब कह रही है कि सब कुछ पारदर्शी तरीके से हुआ है तो इसकी फाइल सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है?