लॉकडाउन – घरों में कैसे समय बिता रहे हैं लोग?

कोलकाता

सनलाइट, कोलकाता। कोरोना महामारी के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने देश में 21 दिन का लॉकडाउन कर दिया है। लोगों से घरों से बाहर न निकलने को कहा गया है। ऐसे में हर आदमी अपने अपने तरीके और सोच से 21 दिन बिताने के उपाय निकाल रहा है।

इसी बात को जानने के लिए सनलाइट ने अलग अलग लोगों से फोन पर उनकी प्रतिक्रिया जानी कि लोग किस प्रकार अपना समय बिता रहे हैं। आइए इस श्रृंखला के पहले भाग में जाने

कुछ लोगों की प्रतिक्रिया-

 

व्यवसायी शैलेश बागड़ी ने कहा कि मन से घर में बैठें या मजबूरी में यह हमारे सोच पर निर्भर करता है पर बैठना तो पड़ेगा ही। इस समय को ऐसे लिया जाए कि जीवन मे स्वयं के लिए, परिवार के लिए इतना समय न मिला है न मिलेगा।
परिवार के साथ गप्पे, खेल, भजन, अध्ययन, ध्यान लगाकर समय बीता रहा हूँ। उन लोगों से फोन पर बात कर रहा हूँ जिन्हें हम मन मे चाहते हैं मगर समय के अभाव में बात भी नही होती। इन पलों में जीवन जी रहा हूँ
इसे जीवन का स्वर्णिम पल महसूस कर रहा हूँ।

गृहणी सरोज पुरोहित ने कहा कि लॉकडाउन के कारण पुरुष घर पर ही है जिस कारण काम भी थोड़ा बढ़ गया है। बोरिंग जैसी कोई बात नहीं है, काम करते करते समय बीत जाता है।

समाजसेवी सुशील कोठारी ने बताया कि लॉकडाउन में वे घर में रहकर समाचार देखकर समय बिता रहे हैं।

 

गृहणी मंजू जोशी ने बताया कि लॉकडाउन की स्थिति में वे घर का काम कर रही हैं साथ ही बच्चों के साथ घर में बैठ कर खेल रही हैं और उनका मनोबल बढ़ा रहीं है।

लिलुआ निवासी पी शीतल हर्ष ने लॉकडाउन को सही बताते हुए कहा कि कोरोना के संक्रमण से सबको बचाने के लिए मैं इसका पालन कर रहा हूं। इसके साथ ही अपने मकान में रहने वाले पड़ोसियों को इसके लिए जागरूक किया है। समय गुजारने के लिए हर्ष अध्ययन कर रहे हैं, बच्चों को समय दे रहे हैं। बच्चों से कोरोना के बारे में जानकारी, संगीत पर भी बात कर रहे हैं। इसके साथ ही अनगिनत व्हाट्सऐप ग्रूपो से जुडे होने के कारण कोई असत्य पोस्ट देखते हैं तुरंत उस ग्रुप के एडमिन का ध्यान आकर्षित करते है। चौबीस घंटो में एक बार अपने सभी परिचित अपने रिश्तेदारों से फोन पर बात जरूर करते हैं और इस तरह सुबह सात से रात की बारह कब बज जाती है पता ही नहीं चलता।

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