जन्माष्टमी कब है? जानिए जन्माष्टमी की सही तारीख

धर्म - कर्म

ज्योतिषाचार्य डॉ राकेश व्यास

इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाए, इसे लेकर पंचांग भेद हैं। कुछ पंचांग में 23 अगस्त को और कुछ में 24 अगस्त को जन्माष्टमी की तिथि बताई गई है।

दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। परन्तु इस वर्ष २३ अगस्त को अष्टमी तिथि तो है लेकिन रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त को है और 24 अगस्त को अष्टमी प्रातः 08:32 तक है। शास्त्रों के अनुसार भगवान के जन्म के समय जो तिथि थी वही तिथि भगवान के जन्म के समय होनी चाहिये इसलिए अष्टमी तिथि के दिन जन्माष्टमी मनाते है। वहीँ कुछ लोग रोहिणी नक्षत्र होने पर ही जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं।

जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी की तिथि: 23 अगस्त और 24 अगस्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 09 मिनट से.
अष्टमी तिथि समाप्‍त: 24 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक.

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्त 2019 की सुबह 03 बजकर 48 मिनट से.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त : 25 अगस्त 2019 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक

स्मार्त संप्रदाय के मंदिरों में, साधु-संन्यासी, शैव संप्रदाय शुक्रवार यानी 23 अगस्त को, जबकि वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में शनिवार यानी 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। स्मार्त संप्रदाय यानी जो लोग पंचदेवों की पूजा करते हैं। शैव संप्रदाय वाले शिवजी को प्रमुख मानते हैं।विष्णु के उपासक या विष्णु के अवतारों को मानने वाले वैष्णव कहलाते है।

जन्‍माष्‍टमी का महत्‍व
श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्‍व है। यह हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु ने श्रीकृष्‍ण के रूप में आठवां अवतार लिया था।  देश के सभी राज्‍य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं। इस दिन क्‍या बच्‍चे क्‍या बूढ़े सभी अपने आराध्‍य के जन्‍म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्‍ण की महिमा का गुणगान करते हैं। दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं. वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और श्रीकृष्‍ण लीला का मंचन होता है।

इसलिए मनाई जाती है जन्माष्टमी

हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्यौहार को भगवान कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि विष्णु भगवान के अवतार कृष्ण ने राक्षस कंस के अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलाने दुष्टों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया था। इसीलिए लोग भगवान कृष्ण के जन्मदिन की ख़ुशी को अलग अलग तरीके से मनाते हैं।

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