2024 लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी एकता की गूंज फिर उठने लगी है। ममता बनर्जी (Mamata Banerjee Mission 2024) अपनी महत्वाकांक्षाओं के साथ मिशन 2024 में लग गई है। 17 मार्च को तृणमूल की बैठक के बाद सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि वह तीसरे मोर्चे (Third front) की बात नहीं कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस (Opposition without congress) से दूरी बनाते हुए क्षेत्रीय दलों (Mamata banerjee and regional parties) से संपर्क करेंगे।
क्षेत्रीय दल जहां मजबूत है वहां लड़े
उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय दल जहां मजबूत है वहां लड़े, नेता का चेहरा बाद में विचार कर लिया जाएगा। इस कड़ी में ममता बनर्जी, नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगी जिसके बाद उनका दिल्ली दौरा भी रहेगा।
भाजपा चाहती है कि राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा हो
सुदीप बंधोपाध्याय ने यहां तक कह दिया कि भाजपा चाहती है कि राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा हो जिससे आने वाले चुनाव में नरेंद्र मोदी को फायदा होगा।
कांग्रेस खुद को विपक्ष का बिग बॉस समझती है
उनका यह कहना कि कांग्रेस खुद को विपक्ष का बिग बॉस समझती है, यह दर्शाता है कि इस बार पार्टी कांग्रेस विहीन मोर्चा के पक्ष में है। ममता बनर्जी (Mamata Banerjee Mission 2024) इस मोर्चे के लिए इसलिए भी आगे बढ़ रहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि वो ही भाजपा को रोक सकती है। वाम शासन को हटाना और अपनी पार्टी गठन के 25 साल में 13 साल से सत्ता पर काबिज रहना कहीं न कहीं उन्हें प्रेरणा देता होगा कि वे बीजेपी से लड़ सकती है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें झटका जरूर लगा लेकिन 21 के विधानसभा में उन्होंने फिर जीत हासिल की।
क्या कांग्रेस विहीन विपक्ष या क्षेत्रीय दलों का फ्रंट भाजपा के सामने चुनौती दे पाएगा
अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस विहीन विपक्ष (Opposition without congress) या क्षेत्रीय दलों (Mamata banerjee and regional parties) का फ्रंट (Third front) भाजपा के सामने चुनौती दे पाएगा? इसके साथ ही एक और सवाल है कि अगर इस मोर्चे ने भाजपा को रोक दिया तो क्या पीएम चेहरे पर सहमति बन पाएगी। यह सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अधिकांश क्षेत्रीय या विपक्षी दल के मुखिया की इच्छा पीएम बनने की है। ऐसे में पहले सभी क्षेत्रीय दलों का साथ आना फिर सर्वसम्मति से नेता चुनना इतना आसान नहीं लगता।
अगर बात करें विपक्षी दलों की तो मुख्यतः आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, बीआरएस, टीडीपी, बीजेडी, शिव सेना, एनसीपी, जेडीयू, जेडीएस, सपा है। इनमें से आज की स्थिति पर बात करें तो कांग्रेस को किनारे करने के बाद मायावती, वाईएसआर, बीजेडी और ओवैसी है जो शायद इस मोर्चे से खुद को दूर रखें। वाईएसआर और आरजेडी ने कभी प्रदेश से बाहर का नही सोचा। इनके अलावा मायावती भी एकला चलो रे की नीति पर काम कर रही है। अब बचे ओवैसी तो उन पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगता रहा है जिसमें खुद ममता बनर्जी उन्हें इसका तमगा दे चुकी है।
46 सीटों के दल से भी बनें हैं पीएम
ऐसा नही है कि कम सीट वाली पार्टी से पीएम नही हो सकता। 1996 में देवगौड़ा की पार्टी ने 46 सीटें जीती और वे पीएम बने थे। अब देखना यह होगा कि सभी दलों को ममता बनर्जी एक मंच पर लाने में कामयाब हो पाती है या नहीं और अगर ऐसा होता है तो बीजेपी को हटाने का उनका मिशन 2024 का सपना पूरा होता है या नहीं।
मिशन 2024 या मिशन 400 किसकी होगी जीत
अब देखना होगा कि पीएम मोदी और भाजपा की लोकप्रियता में कमी आती है या उनका मिशन 400 पूरा होता है। मिशन 2024 (Mamata Banerjee Mission 2024) और मिशन 400 में जीत किसकी होती है देखना दिलचस्प होगा।