जब बड़े-बड़े देश खाद्य सुरक्षा के लिए चिंतित हैं तब भारत का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आ रहा है – पीएम मोदी

देश विदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने यूरोप दौरे के दौरान बर्लिन में भारतीय समुदाय के सदस्यों के बीच पहुंचे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे जर्मनी में ‘मां भारती’ के बच्चों से मिलने का अवसर मिला। आप सभी से मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है। 

मां भारती के सपूतों की बात करना चाहता हूं

पीएम मोदी ने कहा कि न मैं आज आपसे मेरी बात करने आया हूं, न मोदी सरकार की बात करने आया हूं। लेकिन आज मन करता है कि जी भर के आप लोगों से करोड़ों भारतीय लोगों का गौरव गान करूं। मैं जब भारतीयों की बात करता हूं तो इसका ये मतलब नहीं कि वे लोग जो वहां रहते हैं, बल्कि वो भी जो यहां रहते हैं। मैं दुनिया के हर कोने में बसने वाले मां भारती के सपूतों की बात करना चाहता हूं।

मैं हृदय से आपका बहुत आभारी हूं

पीएम ने कहा, जर्मनी में काफी ठंड है, लेकिन कई बच्चे सुबह चार बजे से आ गए थे। मैं जर्मनी पहले भी आया हूं। मैं देख रहा हूं कि हमारी जो नई पीढ़ी है वो काफी बड़ी तादाद में नजर आ रही है। आपने यहां आने के लिए समय निकाला, मैं हृदय से आपका बहुत आभारी हूं। अभी हमारे राजदूत बता रहे थे कि संख्या के हिसाब से जर्मनी में भारतीय कम हैं। लेकिन आपके स्नेह में कोई कमी नहीं है।

पीएम बोले, देश का तेज विकास चाहता है आज का भारत

आज का आकांक्षी भारत, आज का युवा भारत, देश का तेज विकास चाहता है। वो जानता है कि इसके लिए राजनीतिक स्थिरता और प्रबल इच्छाशक्ति कितनी आवश्यक है। इसलिए भारत के लोगों ने तीन दशकों से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता के वातावरण को एक बटन दबाकर खत्म कर दिया। 
 

भारत आज संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है

21वीं सदी का ये समय हमारे नौजवानों के लिए बहुत अहम है। आज भारत मन बना चुका है। और भारत ने वो मन बना लिया है। भारत आज संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है। आज भारत को पता है कि कहां जाना है, कैसे जाना है, कब तक जाना है। जब किसी देश का मन बन जाता है, तो वह देश नए रास्तों पर भी चलता है, और मनचाही मंजिलों को प्राप्त कर के भी दिखाता है।
 

वो कौन सा पंजा था जो 85 पैसा घिस लेता था

पीएम ने कहा, अब जिस तरह तकनीक काम कर रही है उससे भारत की इच्छाशक्ति का पता चलता है। अब किसी प्रधानमंत्री को नहीं कहना पड़ेगा कि मैं एक रुपये दिल्ली से भेजता हूं, लेकिन सिर्फ 15 पैसे ही लोगों के हाथ में पहुंचते हैं। वो कौन सा पंजा था जो 85 पैसा घिस लेता था।  बीते 7-8 साल में भारत सरकार ने डीबीटी के माध्यम से लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाया है।

आज विश्व गेहूं की कमी का सामना कर रहा है

आज विश्व गेहूं की कमी का सामना कर रहा है। दुनिया के बड़े-बड़े देश खाद्य सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। उस दौरान भारत का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आ रहा है। जब भी मानवता के सामने कोई संकट आता है, तो भारत हल के साथ सामने आता है। जो संकट लेकर आते हैं उन्हें संकट मुबारक, जो सॉल्यूशन लेकर आते हैं, उनका जयकारा। यही नए भारत का नारा है।

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