कहाँ गए सारे लोग, पूछ रही ये सड़के वीरान है
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घरवालों संग बैठे है वो लोग जो कहते थे हमें तो बस बाहर ही काम है
माँ बाप को दिखने लगे है बच्चों के हुनर भी अब तो
क्योंकि इससे पहले तो वो खुद ही उनसे अनजान थे
वो बच्चे भी पूछ रहे कब खुलेगी स्कूल, जो खुद कभी होमवर्क और स्कूल से परेशान थे
गार्डेन तो खाली है आज पर खेलने वाला कोई नहीं, लौट आए पुराने लूडो और कैरम जो आज है
पडोसी भी पूछने लगे क्या हाल है, जिनसे मिले न जाने कितना समय बित गया,
इस भाग दौड़ में पता नहीं वो जीवन कहाँ बीत गया।
आज बच्चे माँ बाप के साथ घर पर समय बीता रहे, घर के बड़े, बच्चों से सिख इंटरनेट चला रहे
शायद, शायद कुछ अनचाहे कारणों ने ही सही पर सबको ये मौका है दिया
घर के लोग, पुराने खेल, रामायण महाभारत सबको एक साथ ला दिया
अब तो मान की जीवन इनमे ही है तू आडम्बर में क्यों जाता है,
बड़े दिनों बाद जो मिला है मौका तू उसे क्यू गँवाता है,
सब कुछ फिर से होगा ठीक और निकलेंगे हम गलियों में,
हमसे ज्यादा खुश होंगी वो सड़के जो आज वीरान है जो आज वीरान है।