पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान समारोह सम्पन्न

सामाजिक

सनलाइट,भीलवाड़ा। साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वैचारिक संस्था “सन्दर्भ समीक्षा समिति” द्वारा पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान समारोह महाराजा रेस्टोरेन्ट, भीलवाड़ा के सभागार में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ अध्यक्ष प्रहलाद पारीक, मुख्य अतिथि डॉ. बलराम अग्रवाल, दिल्ली, विशिष्ट अतिथि अनिलकुमार सिंह गहलौत, मथुरा, दीपक नगायच रोशन, उदयपुर, संतोष कुमार सिंह, मथुरा, विनोद सिंह नामदेव शजर, देवास एवं विट्ठल पारीक, जयपुर द्वारा माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण के साथ हुआ। अवनीश पारीक द्वारा गणेश वन्दना तथा मेघ श्याम मेघ द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गयी।

ये हुए सम्मानित

कार्यक्रम के सम्मान सत्र में डॉ. बलराम अग्रवाल को यशवन्तसिंह सिसोदिया स्मृति कथा शिरोमणि सम्मान-2019, डॉ. अनिल कुमार सिंह गहलौत को चौथमल लोढ़ा स्मृति सजल ऋषि सम्मान-2019, माधव नागदा को गिरिराजधरण सिंह सिसोदिया स्मृति कथा शिरोमणि सम्मान-2019, विट्ठल पारीक, को भँवरलाल अग्रवाल स्मृति गीत शिरोमणि सम्मान-2019 तथा विनोद सिंह नामदेव शज़र, को रामकुँवर पारीक स्मृति ग़ज़ल शिरोमणि सम्मान-2019 से सम्मानित किया गया।

सम्मान स्वरूप दो हजार एक सौ रुपये की पुरस्कार राशि सहित सम्मान पत्र व सम्मान चिह्न प्रदान किया गया। संचालक रेखा लोढ़ा स्मित ने सम्मानित साहित्यकारों का गद्यात्मक एवं पद्यात्मक परिचय का वाचन किया।

पुस्तक लोकार्पण

पुस्तक लोकार्पण सत्र में मंचासीन अतिथियों द्वारा रेखा लोढ़ा स्मित की दो पुस्तकें, रोशनी है दाँव पर, सजल संग्रह, मुट्ठी भर आकाश, कहानी संग्रह एवं प्रहलाद पारीक की पुस्तक जीवन की हलचल कह दूँ, ग़ज़ल संग्रह लोकार्पित हुई। इस सत्र का संचालन जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार विट्ठल पारीक ने किया।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अनिल कुमार सिंह गहलौत, मथुरा ने हिन्दी की नव प्रसूत विधा सजल पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सजल विधा के विधान पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। सजल संग्रह रोशनी है दाँव पर चर्चा करते हुए मथुरा के वरिष्ठ साहित्यकार संतोष कुमार सिंह ने कहा कि रेखा जी की यह कृति शिल्प व कथ्य की कसौटी पर खरी उतरती है।

स्मित के कहानी संग्रह मुट्ठी भर आकाश पर बोलते हुए ख्यातनाम साहित्यकार एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. बलराम अग्रवाल ने समीक्षात्मक उद्बोधन देते हुए कहानियों की बारीकियों पर रोशनी डाली।

विशिष्ट अतिथि विनोद सिंह नामदेव शज़र तथा दीपक नगायच ने प्रहलाद पारीक के ग़ज़ल संग्रह जीवन की हलचल कह दूँ पर बोलते हुए कहा कि इनकी गज़लें वर्तमान विसंगतियों पर कडा प्रहार करती हैं।

कृतिकार रेखा लोढ़ा स्मित ने अपने लेखकीय जीवन पर चर्चा करते हुए सृजन के सहयोगी बने सभी मित्रों एवं परिजनों का आभार व्यक्त किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कृतिकार प्रहलाद पारीक ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अपनी सृजन यात्रा के पड़ावों पर चर्चा की।

संस्था महासचिव वीरेन्द्र कुमार लोढ़ा ने सभी आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए आयोजन सहयोगी मित्रों एवं संस्था सदस्यों को धन्यवाद ज्ञपित किया।

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