West Bengal Supreme Court – आज यानी मंगलवार का दिन सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल के लिए अहम माना जा रहा है।
West Bengal Supreme Court
आज सुप्रीम कोर्ट में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती भ्रष्टाचार मामला, ओबीसी प्रमाण पत्र रद्दीकरण मामला और पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) बकाया मामले की सुनवाई होनी है।
प्रत्येक मामले का अपना राजनीतिक महत्व भी है। जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है।
मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ 25,753 लोगों की नौकरियां रद्द करने के मामले की सुनवाई करने वाली है।
राज्य सरकार ने दावा किया है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच का फैसला सही नहीं है। आयोग और राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में यह भी तर्क दिया है कि पात्र को अपात्र से अलग किया जा सकता है।
आयोग ने दावा किया है कि 19,000 लोगों की नौकरियां वैध हैं। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाता है और क्या वह हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखेगा।
West Bengal Supreme Court – पश्चिम बंगाल में एक और मामला ओबीसी का है। उच्च न्यायालय ने 2010 से राज्य द्वारा जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द करने का आदेश दिया था।
राज्य सरकार ने उस फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। राज्य का दावा है कि उच्च न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप कई लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अंतरिम आदेश का अनुरोध किया गया।
West Bengal Supreme Court – एसएसएसी और ओबीसी मामलों के साथ ही पांचवें वेतन आयोग के तहत पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के बकाया मामले की सुनवाई भी मंगलवार को होनी है।
यह मामला 2016 में राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एसएटी) द्वारा शुरू किया गया था। मई 2022 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर बकाया डीए का भुगतान करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने उस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।