राज्य में तीन साल की जगह चार साल की स्नातक की पढ़ाई शुरू की जा रही है। चार साल के इस अंडरग्रेजुएट कोर्स का जिक्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी है। हालांकि शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु (West Bengal Graduation) ने साफ तौर पर कहा कि शिक्षा विभाग का नया नियम उस नीति का सम्मान नहीं करता है। शिक्षा विभाग ने बुधवार को नई नीति की घोषणा की। राज्य सरकार ने शुरू से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आपत्ति जताई थी। राज्य ने यह जाँचने के लिए समिति का भी गठन किया कि क्या उस नीति को लागू करना संभव है।
West Bengal Graduation – राज्य सरकार ने एक पूरी तरह से अलग राज्य शिक्षा नीति तैयार की है
ब्रत्य बोस ने ट्वीट कर लिखा, “राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाया है, जिसे सच कहना कम होगा। राज्य सरकार ने एक पूरी तरह से अलग राज्य शिक्षा नीति तैयार की है।” शिक्षा मंत्री ने दावा किया कि अगर यह 4 साल का डिग्री कोर्स शुरू नहीं होता तो इस राज्य के करीब 7 लाख छात्र अखिल भारतीय प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाते। साथ ही उनका यह भी मानना है कि इस राज्य के छात्रों का दूसरे राज्यों में पढ़ने का रुझान बढ़ेगा। इस संदर्भ में शिक्षा मंत्री ने वामपंथियों की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, “तीन साल के डिग्री कोर्स को रखने से पिछली वाम सरकार द्वारा कक्षा एक से अंग्रेजी छोड़ने या ब्रिज कोर्स शुरू करने या इससे भी अधिक छात्र विरोधी फैसले लेने जैसे छात्र विरोधी फैसले लिए जाते।”
West Bengal Graduation – मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को लागू करने के लिए कहा है
ब्रात्य ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को लागू करने के लिए कहा है। शिक्षा मंत्री ने इस तथ्य को भी स्पष्ट किया कि राज्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कई पहलुओं को नहीं अपनाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में 5+3+3+4 प्रणाली लागू करने या उच्च शिक्षा संस्थानों के केंद्रीकरण जैसी नीतियों का विरोध कर रही है।
