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कोलकाता में रहने वाले चीनी भी कह रहे हैं, चीन को सबक सिखाओ

कोलकाता

कोलकाता। कोलकाता का चाइना टाउन क्षेत्र एक ऐसा इलाका है जहां बड़ी संख्या में चीन के नागरिक रहते हैं। इन इलाकों में दीवारों पर पेंटिंग से लेकर चुनावी नारे तक चीनी भाषा में लिखे जाते हैं। वजह है यहां रहने वाले लोग मूल रूप से चीन के नागरिक हैं और अपनी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखे हैं। 

 

अब जबकि चीन के साथ हिंसक झड़प हुई है और भारत के 20 जवान शहीद हो गए हैं तो पूरे देश के साथ यहां के चीनी नागरिक भी चीन को सबक सिखाने के पक्ष में हैं।

जब जब चीन के साथ टकराव बढ़ता है तो इन गलियों में भी सरगर्मी तेज हो जाती है। हाल ही में जब कोरोना वायरस फैला था और पता चला था कि इस वायरस का संक्रमण चीन से शुरू हुआ है तो इन क्षेत्र के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी थी। कई लोग इन नागरिकों को देखकर कोरोना वायरस कहा करते थे, जिसके बाद लोगों ने अपने टी-शर्ट पर यह छपवा लिया था कि वे भारतीय हैं। कोलकाता में ही जन्मे हैं। यहीं मर जाएंगे, वायरस नहीं हैं।
अब जबकि चीन के साथ टकराव शुरू हुआ है तो इस बार फिर इन नागरिकों ने भारत के साथ अपनी एकजुटता जताई है। इन क्षेत्रों में जैसे ही प्रवेश करेंगे, हर तरफ चीनी भाषा में बात कर रहे लोगों को देखा जा सकेगा। हालांकि जब चीन के साथ टकराव के बारे में लोगों से सवाल पूछा गया तो ये हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी में साफ कहते नजर आए कि चीन को सबक सिखाना जरूरी है। यहां के नागरिकों का कहना है कि वह पिछले सैकड़ों साल से कोलकाता में ही रह रहे हैं। यहीं जन्म हुआ, यहीं की नागरिकता है और यहीं दफन हो जाएंगे। भले ही इनके पूर्वज चीन के रहने वाले थे, लेकिन उनका देश भारत है।
इन लोगों का कहना है कि चूंकि ये चीनी नागरिक हैं, इसलिए अपनी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखना चाहते हैं। इस वजह से चीन की भाषा भी बोलते हैं। वहां के रीति रिवाज के मुताबिक पूजा-पाठ भी करते हैं और बच्चों को शिक्षा-दीक्षा भी चीन की भाषा में देते हैं, लेकिन उनका दिल हिंदुस्तानी है और किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में हिंदुस्तान के साथ ठीक उसी तरह से खड़े रहेंगे जिस तरह से यहां के नागरिक हैं।
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