जयपुर। प्रदेश में अनाधिकृत व्यक्तियों के आवागमन को रोकने के लिए अन्तर्राज्यीय सीमाओं को सील कर दिया गया है। अब बिना ई-पास के कोई व्यक्ति अन्तर्राज्यीय आवागमन नहीं कर सकेगा। सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी तथा मौत के मामलों में जिला कलेक्टर ई-पास जारी कर सकेंगे।
विदेशों से राज्य में आने वाले करीब 8 हजार 500 व्यक्तियों को एयरपोर्ट पर उतरने के बाद भुगतान आधारित संस्थागत एकांतवास (क्वॉरेंटाइन) में भेजा जाएगा।
इस संबंध में मुख्य संचिव डीबी गुप्ता ने गुरुवार को जिला कलेक्टरों और अन्य अधिकारियों से वीडियों कांफ्रेसिंग कर समीक्षा की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि राज्य से बाहर की यात्रा के लिए भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप पात्रता पूरी करने वाले व्यक्ति को जिला कलक्टर की अनुशंसा पर गृह विभाग के स्तर पर अनुमति जारी की जाएगी।
इसके अलावा राज्य सरकार की ई-एनओसी के उपरान्त ही दूसरे राज्य से राजस्थान आने वालों के लिए परमिट जारी किया जा सकेगा।
केन्द्र की गाइडलाइन के अनुरूप जो श्रमिक अन्य राज्यों से आए हैं, उन्हें आवश्यक रूप से 14 दिन एकांतवास में रहना होगा। जिला कलक्टर सुनिश्चित करें कि इन निर्देशों की हर हाल में पालना हो। सीमा पर प्रवासी श्रमिकों के आगमन के साथ ही उनके मेडिकल चैकअप तथा उसकी सूचना संबंधित जिले को दें ताकि सभी प्रवासी श्रमिकों का एकांतवास सुनिश्चित किया जा सके।
बैठक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के कारण देश में कोरोना रोगियों की सर्वाधिक रिकवरी दर राजस्थान में है। उन्होंने निर्देश दिए कि बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को संस्थागत या घरेलू एकांतवास रखें, अन्यथा 47 दिन की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह राजीव स्वरूप ने कहा कि दूसरे राज्य से पास के जरिए आने वाले हर व्यक्ति की राज्य के एंट्री प्वाइंट पर ही सूचना दर्ज हो और जिस जिले में वह जाना चाहता है वहां के जिला प्रशासन को इसकी जानकारी पहुंचाई जाए। इस व्यवस्था को पुख्ता करके ही हम शत-प्रतिशत क्वारेंटाइन सुनिश्चित कर सकते हैं।
इस दौरान बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग सुबोध अग्रवाल, पुलिस महानिदेशक डॉ. भूपेन्द्र सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रोहित कुमार सिंह और प्रमुख सचिव सूचना प्रौद्योगिकी अभय कुमार मौजूद थे।
